तुम सबक दे गयी सबको ।


 किसने डा़ली थी तुममें,

मार खाने की आदत,

जो तुम उससे मार खाती गयी,

उसके हौसले बढ़ाती गयी।


समझ में नहीं आता ,

दकियानुसी बातों से तुम ऊपर थी,

प्रगतिशील थे तुम्हारे विचार,

फिर क्यों तुम उसके साथ निभाती गयी,

उसके हौसले बढ़ाती गयी।


पढ़ाई तुम्हारी पूरी थी,

कमाना भी जानती थी,

अपने पैरों पर खड़ी थी तुम,

फिर नशेड़ी का नशा क्यों,

अपने उपर चढ़ाती गयी,

उसके हौसले बढ़ाती गयी।


अच्छे दोस्त थे तुम्हारे,

थे मुसीबतों के सहारे,

माना पिता को 

गलत हुआ निर्णय,

यह बताने में झिझकी तुम,

पर दोस्तों से भी तो छुपाती गयी,

उसके हौसले बढ़ाती गयी।


तुम गलत नहीं थी,

ऊपर वाला करेगा इंसाफ ,


पर तुम सबक दे गयी सबको,

माता पिता से गलत होती है गुस्ताखी,

उनके लिए रखना मन साफ,

तुम उनसे दूरियां बनाती गयी,

दरिंदे का हौसला बढ़ाती गयी।

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