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Shaukh ki umar mein sabr karna sikh gaya hu



 Shaukh ki umar mein
 Sabr Karna Sikh gya hu

Hasne ki umar mein
Rona sikh gya hu

Chahate to thi bahot
 kuch karne ki meri

Ab use dheere dheere 
Bhulna Sikh gya hu

Shaukh ki umar mein 
Sabr karna sikh gya hu
 


 

सब कुछ अधुरा

 समय के भवर में फस के रह गया हूँ ; खुद की तलाश में खुद  से बिछर गया हूँ , 

मंज़िल की तलाश में मैंने कई ख्वाहिशों  को  दफनाया है , जिससे नफरत थी उसे गले लगाया है 

तुम सबक दे गयी सबको ।


 किसने डा़ली थी तुममें,

मार खाने की आदत,

जो तुम उससे मार खाती गयी,

उसके हौसले बढ़ाती गयी।


समझ में नहीं आता ,

दकियानुसी बातों से तुम ऊपर थी,

प्रगतिशील थे तुम्हारे विचार,

फिर क्यों तुम उसके साथ निभाती गयी,

उसके हौसले बढ़ाती गयी।


पढ़ाई तुम्हारी पूरी थी,

कमाना भी जानती थी,

अपने पैरों पर खड़ी थी तुम,

फिर नशेड़ी का नशा क्यों,

अपने उपर चढ़ाती गयी,

उसके हौसले बढ़ाती गयी।


अच्छे दोस्त थे तुम्हारे,

थे मुसीबतों के सहारे,

माना पिता को 

गलत हुआ निर्णय,

यह बताने में झिझकी तुम,

पर दोस्तों से भी तो छुपाती गयी,

उसके हौसले बढ़ाती गयी।


तुम गलत नहीं थी,

ऊपर वाला करेगा इंसाफ ,


पर तुम सबक दे गयी सबको,

माता पिता से गलत होती है गुस्ताखी,

उनके लिए रखना मन साफ,

तुम उनसे दूरियां बनाती गयी,

दरिंदे का हौसला बढ़ाती गयी।

-copied

एक औरत !

एक औरत ने क्या ख़ूब कहा !

छोटी थी जब बहोत ज्यादा बोलती थी ;

माँ हमेशा डाँटती ,

चुप रहो ! बच्चे ज्यादा नहीं बोलते


जब थोड़ी बड़ी हुई , थोडा भी बचपना करने पर ;

माँ डाँट लगाती 

चुप रहो ! अब तुम बच्ची नहीं रही !


जवान हुई जब , थोडा ज्यादा बोलने पर ;

माँ जोर से फटकारती 

चुप रहो ! तुम्हें दुसरे के घर जाना है 


ससुराल गई जब , कुछ भी बोलने पर

सास ने उलाहने दिए

चुप रहो ! ये तुम्हारा मायका नहीं


घरबार संभाला जब , पति के किसी बात पर बोलने पर ;

उनकी डाँट मिली 

चुप रहो ! तुम्हें आता हीं क्या है 


नौकरी पर गई , सही बात बोलने पर कहा गया ;

चुप रहो ! अगर काम करना है तो


थोड़ी उम्र जब ढली , अब जब भी बोली तो ;

बच्चों ने कहा 

चुप रहो ! तुम्हें इन बातों से क्या मतलब 


बूढी हो गई , कुछ भी बोलना चाही तो सबने कहा ;

चुप रहो ! तुम्हें आराम की जरुरत है


इन चुप्पी की इकलाई में , आत्मा की गहराई में,

बहुत कुछ दबा पड़ा है ;

उन्हें खोलना चाहती हूँ , बहुत कुछ बोलना चाहती हूँ ,

अपनों से एक बार खुल के बातें करना चाहती हूँ ;

जीवन के इस अंतिम पडाव में खुल के जीना चाहती हूँ ,

पर सामने यमराज खड़े हैं , उसने कहा

चुप रहो ! तुम्हारा समय समाप्त हो गया है

और मैं चुप हो गई ;

हमेशा के लिए

Spread Love and Humanity!!!

You came naked

You will leave naked

You came without anything

You will leave without anything;


You arrived weak

You will leave weak

So, why so much hatred, resentment ,envy, selfishness and pride?

We will all go empty handed, what all material things we have earned ,we earned here and will leave everything here only.

The only thing that will go with us, that we actually earned here is the love we shared ,the compassion we showed ,the humbleness, our gratitude, our helpfulness, our kindness.

That is the legacy we will leave here that everyone will follow.

अंतिम नींद


 अंतिम_यात्रा_का_कटु_सत्य 🚩🚩


था मैं नींद में और मुझे इतना सताया जा रहा था!


बड़े प्यार से मुझे नहलाया जा रहा था!


ना जाने था वह कौन सा अजब खेल था मेरे घर में!


बच्चों की तरह मुझे कंधे पर उठाया जा रहा था!


था पास मेरा हर अपना उस वक्त


फिर भी मैं हर किसी के मन से भुलाया जा रहा था


जो कभी देखते भी ना थे मोहब्बत की निगाहों से


उनके दिल से भी प्यार मुझ पर लुटाया जा रहा था


मालूम नहीं क्यों हैरान था हर कोई मुझे सोते हुए देखकर


जोर जोर से रो कर मुझे जगाया जा रहा था


कांप उठी मेरी रूह वह मंजर देख कर


जहां मुझे हमेशा के लिए सुलाया जा रहा था


मोहब्बत की इन्तहा थी उस समय में ,मेरे लिए


उन्हें दिलों के हाथों आज मुझे जलाया जा रहा था


      #चंद_लाइने


इस दुनिया में कोई किसी का हमदर्द नहीं होता


लाश को शमशान में रखकर अपने लोग ही पूछते हैं


और कितना वक्त लगेगा


अफसोस मूड मन ,मुद्दत से सो रहा है !


सोचा यह न कि ,घर में अंधेरा हो रहा है !!


84 लाख मंजिल, तय करके मुश्किलों से !


जिस घर को तूने ढूंढा, उस घर को ही खो रहा है !!


यम के दूत घेर जब लेवे, तब क्या धर्म कमाएगा !


राम नाम नहीं गाएगा तो, अंत समय पछिताएगा !!


अब भी करना है जो कर ,क्यों देर आज या कल की है !


तुझको क्या खबर , तेरी जिंदगी कितने पल की है !!

अंतिम यात्रा

 क्या आप जानते हैं कि आपके अंतिम संस्कार के बाद आम तौर पर क्या होता है?


कुछ ही घंटों में रोने की आवाज पूरी तरह से बंद हो जाएगी। आपका परिवार रिश्तेदारों के लिए होटलों/हलवाइयों से खाना मंगवाने में जुट जायेगा।

पोते-पोती दौड़ते और खेलते रहेंगे। कोई ज्यादा शरारती पोता/पोती खाने की किसी विशेष वस्तु के लिए ज़िद करके मचल जाएगा और उसको हर हाल में लेकर रहेगा।

कुछ भद्र पुरुष सोने से पहले आपके बारे में कुछ संवेदनात्मक टिप्पणी करेंगे। कोई रिश्तेदार आपकी बेटी से फोन पर बात करेगा कि आपात स्थिति के कारण वह व्यक्तिगत रूप से नहीं आ पा रहा है।

अगले दिन रात के खाने में, कुछ रिश्तेदार कम हो जाते हैं, और कुछ लोग सब्जी में पर्याप्त नमक नहीं होने की शिकायत करते हैं।

भीड़ धीरे धीरे छंटने लगेगी..

आने वाले दिनों में कुछ कॉल आपके फोन पर बिना यह जाने आ सकती हैं कि आप मर चुके हैं।

आपका कार्यालय या दुकान आपकी जगह लेने के लिए किसी को ढूंढने में जल्दबाजी करेंगे।

दो सप्ताह में आपका बेटा और बेटी अपनी आपातकालीन छुट्टी खत्म होने के बाद काम पर लौट आएंगे।

महीने के अंत तक आपका जीवनसाथी भी कोई कॉमेडी शो देख कर हंसने लगेगा। सबका जीवन सामान्य हो जाएगा

जिस तरह एक बड़े पेड़ के सूखे पत्ते में और जिसके लिए आप जीते और मरते हैं, उसमें कोई अंतर नहीं है, यह सब इतनी आसानी से, इतनी तेजी से, बिना किसी हलचल के होता है।

       आपको इस दुनिया में आश्चर्यजनक गति से भुला दिया जाएगा। इस बीच आपकी प्रथम वर्ष पुण्यतिथि भव्य तरीके से मनाई जाएगी। पलक झपकते ही साल बीत गए और तुम्हारे बारे में बात करने वाला कोई नहीं है।

एक दिन बस पुरानी तस्वीरों को देखकर आपका कोई करीबी आपको याद कर सकता है,

मुझे अभी बताओ...

लोग आपको आसानी से भूलने का इंतजार कर रहे हैं। फिर आप किसके लिए दौड़ रहे हो? 

और आप किसके लिए चिंतित हैं?

अपने जीवन के अधिकांश भाग के लिए 80% आप इस बारे में सोचते हैं कि आपके रिश्तेदार और पड़ोसी आपके बारे में क्या सोचते हैं? क्या आप उन्हें संतुष्ट करने के लिए जीवन जी रहे हैं? जो किसी काम का नहीं !

जिंदगी एक बार ही मिलती है, बस इसे जी भर के जी लो...…. हां एक बात और अपनी क्षमता के अनुसार किसी जरुरतमंद की सहायता प्रेमपूर्वक जरूर करना, वह आपको हमेशा याद रखेगा।

अहंकार छोड़िये अपने होने का, अपने बड़े होने का, अपने प्रसिद्ध होने का,अपने सेलिब्रिटी होने का,अपने अमीर होने का..........अपने अधिकारित्व के पायजामे से बाहर निकलिये।


नेक कर्म करते रहिये,

यही है जिन्दगी। 🙏

-Spy

मैं डरता हूँ !!!


 मैं डरता हूँ 

अंधेरों से नहीं 

मैं लोगों से डरता हूँ ;

हाँ !मैं डरता हूँ ...

अकेलेपन से नहीं 

मैं अपनेपन से डरता हूँ ;

हाँ ! मैं डरता हूँ ...

दूर जाने से नहीं 
अपनों के दूर हो जाने से डरता हूँ ;

हाँ ! मैं डरता हूँ ...