ईश्वर ने दुष्ट,बेईमान,लालची,स्वार्थी और दोगले लोगों को क्यों बनाया?


 ईश्वर ने दुष्ट,बेईमान,लालची,स्वार्थी और दोगले लोगों को क्यों बनाया?बनाने का क्या कारण है? आइए जानते हैं सच👉


उनकी इच्छा,उनकी लीला,उनकी माया।उनकी दुनिया में विद्या भी है और अविद्या भी।जीवन में अंधकार की भी बहुत आवश्यकता है,अंधकार रहने पर प्रकाश की महिमा और भी ज्यादा प्रकट होती है।काम, क्रोध,लालच,स्वार्थ यह सब खराब तो है ही पर यह सब ईश्वर ने दिया ही क्यों?दिया महान व्यक्तियों को तैयार करने के लिए,मनुष्य इंद्रियों पर विजय प्राप्त करने से ही महान होता है,जितेंद्रिय क्या नहीं कर सकता?उनकी कृपा से उसे ईश्वर प्राप्ति तक हो सकती है,यह सब बनाने के पीछे यही कारण है ताकि लोग सही तक पहुंचे एवं ईश्वर तथा धर्म को जाने👉


समाज में दुष्ट लोगों की भी आवश्यकता है,एक गांव के लोग बहुत उदंड हो गए थे,उस समय वहां एक गोलोक चौधरी को भेज दिया गया,उसके नाम से लोग कांपने लगे,इतना कठोर शासन था उसका क्योंकि वह चौधरी दुष्ट था और लोहे को लोहा ही काटता है।अतः समाज में दुष्ट और अच्छे दोनों की आवश्यकता है।जिस गांव के उदंड लोगों को अच्छे लोग नहीं सुधार पाए,वह एक दुष्ट चौधरी ने कर दिया।सीताजी बोली राम अयोध्या में यदि सब के पास सुंदर महल होते तो कैसा अच्छा होता?मैं देख पा रही हूं कि अनेक मकान टूट गए हैं,जर्जर है,श्रीराम बोले,यदि सभी मकान सुंदर हो तो मिस्त्री लोग क्या करेंगे?👉


ईश्वर ने सब प्रकार के पदार्थ बनाए है और सबका अपना-अपना महत्व एवं कार्य है।दुष्ट लोग के कारण ही तो महान लोग पैदा होते हैं और समाज तथा दुष्टों को सही रास्ता दिखाते हैं तलवार से या कलम से।समाज में बुरा,खराब,ज्ञान,सच,स्वार्थ, क्रोध सब की जरूरत है,तभी तो इनकी सच्चाई जानकर लोग इससे ऊपर उठ सकेंगे एवं आने वाली समस्याओं का खुलकर बिना किसी समस्या के सामना कर सकेंगे।श्रीहनुमान जी ने क्रोध में लंका जला दी थी फिर उन्हें मालूम हुआ कि लंका के उस वन में माता सीता भी हैं,कहीं उन्हें नुकसान ना हो जाए,तब उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ,फिर आग लगाना बंद कर दिए,अब उन्हें पता चल गया कि क्रोध बहुत खराब चीज है इसीलिए वे क्रोध से ऊपर उठ गए और महान हो गए।ईश्वर की लीला को पहचानना अत्यंत मुश्किल है भक्ति,ज्ञान,निष्काम कर्म से ही उनकी लीलाओं को जाना जा सकता है।जय श्रीराम।


अपने आत्म सम्मान को इतना मत गिराओ किसी अनजान स्त्री के लिए।

 

मत दो प्रपोजल किसी लड़की को प्यार का,यहां कोई किसी से प्यार नहीं करता!सबके स्वार्थ हैं! सबको कुछ न कुछ चाहिए होता है!👉


मत करो प्रपोज और कितना तुम उनके सामने गिरोगे?इतना जान लो कि दुनिया में लोग प्यार भी मतलब से करते हैं,सबके कुछ स्वार्थ होते हैं।तुम जैसे हो,वैसे वह भी है लेकिन यदि तुम उसे प्रपोज कर दोगे तो वह स्वीकार नहीं करेगी क्योंकि सबके बहाने हैं मेरे भाई।लोग सच्चे लड़कों से बचने के लिए घटिया से भी घटिया तर्क देते हैं कि हम प्यार नहीं कर सकते लेकिन बाद में पता चलता है कि वह लड़की किसी धन संपन्न लड़के से प्यार करते पकड़ी जाती हैं जैसे पैसे वाला,गाड़ी वाला, स्टाइलिश,भौतिक संपदा से युक्त,अच्छे कपड़े इत्यादि।लड़की को यह भी पता है कि वह सच्चा लड़का सही है लेकिन अपने स्वार्थ,इच्छा एवं भोग के कारण किसी झूठे को चाहे लेती है,वे इच्छाओं कि दुनिया में बिक चुके है मुर्शद👉


सबके बहाने हैं,तुमसे प्यार ना करने का क्योंकि उसे कोई और चाहिए होता है।यदि तुम उसे यह भी कहोगे कि मुझे तुम्हारे शरीर से प्यार नहीं है!मरते दम तक touch नहीं करूंगा!मजाल है कि वह मान जाए,वह नहीं मानेगी फिर भी।हां उन लोग प्यार के डायलॉग तथा तर्क तो अच्छा देती है लेकिन यह सब बातें जानने और अपनाने की औकात नहीं उनकी।तुम उसे बोल भी दोगे कि मैं तुम्हें ऐसे रखूंगा और वह तुमसे यह भी कहेगी कि तुम तो अच्छे हो,कर दो प्रपोज उसे फिर,मजाल है कि वह मान जाए,नहीं मानेगी सबका अपना स्वार्थ,एवं बहाना है दरअसल उन्हें कोई और चाहिए होता है।मत ढूंढो प्रेम,खुद से कर लो।अरे जालिम यहां पैसे,स्टाइलिश,अच्छी शक्ल,सेटलमेंट,अच्छे बाल,अच्छे घर,अच्छे बदन के आधार पर बोलियां एवं प्रेम लगता है।तुम यहां मत भटको,नहीं तो मारे जाओगे👉


मैं जानता हूं कि तुम शक्ल,बाल,ज्ञान,विचार,गुण एवं व्यवहार से अच्छे हो,शरीर से प्यार नहीं करते लेकिन ये लोग नहीं मानते।इन लड़कियों का ईमान बिक चुका है,ये होते कुछ और तथा दिखाते कुछ और हैं।यह प्यार वाली शायरियां,किताबें,हृदय वाली यह सब रट्टू बाजी बातें केवल वही तक अच्छी लगती है,उसे वही रहने दो,वह कल्पना में ही ठीक लगती है।कल्पना वाली सच्ची बातों को अपनाने की औकात नहीं किसी की।यह बातें सभी लड़कियों के लिए नहीं है।मैं मानता हूं तुम उसे अच्छा खिला,पिला सकते हो,अच्छे कपड़े,मान सम्मान,खुशी,केयर दे सकते हो लेकीन वो नही मानेगी मुर्शद।यह बात लड़कों पर भी लागू होती है।

तुम सबक दे गयी सबको ।


 किसने डा़ली थी तुममें,

मार खाने की आदत,

जो तुम उससे मार खाती गयी,

उसके हौसले बढ़ाती गयी।


समझ में नहीं आता ,

दकियानुसी बातों से तुम ऊपर थी,

प्रगतिशील थे तुम्हारे विचार,

फिर क्यों तुम उसके साथ निभाती गयी,

उसके हौसले बढ़ाती गयी।


पढ़ाई तुम्हारी पूरी थी,

कमाना भी जानती थी,

अपने पैरों पर खड़ी थी तुम,

फिर नशेड़ी का नशा क्यों,

अपने उपर चढ़ाती गयी,

उसके हौसले बढ़ाती गयी।


अच्छे दोस्त थे तुम्हारे,

थे मुसीबतों के सहारे,

माना पिता को 

गलत हुआ निर्णय,

यह बताने में झिझकी तुम,

पर दोस्तों से भी तो छुपाती गयी,

उसके हौसले बढ़ाती गयी।


तुम गलत नहीं थी,

ऊपर वाला करेगा इंसाफ ,


पर तुम सबक दे गयी सबको,

माता पिता से गलत होती है गुस्ताखी,

उनके लिए रखना मन साफ,

तुम उनसे दूरियां बनाती गयी,

दरिंदे का हौसला बढ़ाती गयी।

-copied