द्रौपदी ।

द्रौपदी की वस्त्रहरण, एक कथा अद्वितीय,

महाभारत के युद्ध में, बदली जीवन की दीवार।

शकुनि की कपट योजना, कौरवों का क्रूर प्रयास,

द्रौपदी को अपमानित करने की उनकी आस।


यदि वस्त्र नहीं, तो क्या था विशेष उपहार,

द्रौपदी के स्वयंवर में, जिसने बदला इतिहास।

पांच पांडवों की पत्नी, शक्ति का प्रतीक थी वह,

वस्त्र के पीछे छिपे, असीम शक्तियों का रहस्य था जो खुला।


कौरवों की हानि, उनकी हार की नींद में,

द्रौपदी के अपमान का, राग भरा स्थान।

कृष्णा की मदद से, वस्त्रों का अद्वितीय जादू,

द्रौपदी की अपमान को, किया अपनी शक्ति का परित्याग।


वस्त्रहरण की कथा, सिखाती है हमें शिक्षा,

स्त्री की महत्वपूर्णता, और उसकी शक्ति की मान्यता।

द्रौपदी की अद्भुत कहानी, हमें दिखाती है राह,

सहसा न झुकने वाली, शक्ति, विजय और सफलता की आशा।


 

प्रेम और ज्ञान के साथ इस युग में हम सब एक दूसरे का साथ देंगे और परिवर्तन लाएंगे ।।


 कलियुग की छाया में, एक नई कहानी,

परिवर्तनों की दुनिया, अव्यवस्था की जवानी।

धर्म की कमी, दुष्कर्मों की बरसात,

पर आशा की किरन, जलती रहे सदा।


तकनीकी उन्नति, एक दोहरी धार,

मनोबल्लिनि करे, हृदयों की पार।

भौतिक लालसाएँ, अधिक प्राथमिकता,

आध्यात्मिक अर्थ को, करे अशक्त करता।


फिर भी इस परीक्षण भरे युग में,

हम सब सही मार्ग पर चलेंगे।

दया की किरनें हमें प्रेरित करेंगी,

अंधकार को दूर भगाएंगी, रोशनी लाएंगी आवेशनी।


कलियुग के चुनौतियों को, हम पार करेंगे,

एकता की तलाश में, समय को सुधारेंगे।

प्रेम और ज्ञान के माध्यम से, हम आगे बढ़ेंगे,

सत्य के मार्ग में, इस युग में हम राह दिखाएंगे।

ईश्वर ने दुष्ट,बेईमान,लालची,स्वार्थी और दोगले लोगों को क्यों बनाया?


 ईश्वर ने दुष्ट,बेईमान,लालची,स्वार्थी और दोगले लोगों को क्यों बनाया?बनाने का क्या कारण है? आइए जानते हैं सच👉


उनकी इच्छा,उनकी लीला,उनकी माया।उनकी दुनिया में विद्या भी है और अविद्या भी।जीवन में अंधकार की भी बहुत आवश्यकता है,अंधकार रहने पर प्रकाश की महिमा और भी ज्यादा प्रकट होती है।काम, क्रोध,लालच,स्वार्थ यह सब खराब तो है ही पर यह सब ईश्वर ने दिया ही क्यों?दिया महान व्यक्तियों को तैयार करने के लिए,मनुष्य इंद्रियों पर विजय प्राप्त करने से ही महान होता है,जितेंद्रिय क्या नहीं कर सकता?उनकी कृपा से उसे ईश्वर प्राप्ति तक हो सकती है,यह सब बनाने के पीछे यही कारण है ताकि लोग सही तक पहुंचे एवं ईश्वर तथा धर्म को जाने👉


समाज में दुष्ट लोगों की भी आवश्यकता है,एक गांव के लोग बहुत उदंड हो गए थे,उस समय वहां एक गोलोक चौधरी को भेज दिया गया,उसके नाम से लोग कांपने लगे,इतना कठोर शासन था उसका क्योंकि वह चौधरी दुष्ट था और लोहे को लोहा ही काटता है।अतः समाज में दुष्ट और अच्छे दोनों की आवश्यकता है।जिस गांव के उदंड लोगों को अच्छे लोग नहीं सुधार पाए,वह एक दुष्ट चौधरी ने कर दिया।सीताजी बोली राम अयोध्या में यदि सब के पास सुंदर महल होते तो कैसा अच्छा होता?मैं देख पा रही हूं कि अनेक मकान टूट गए हैं,जर्जर है,श्रीराम बोले,यदि सभी मकान सुंदर हो तो मिस्त्री लोग क्या करेंगे?👉


ईश्वर ने सब प्रकार के पदार्थ बनाए है और सबका अपना-अपना महत्व एवं कार्य है।दुष्ट लोग के कारण ही तो महान लोग पैदा होते हैं और समाज तथा दुष्टों को सही रास्ता दिखाते हैं तलवार से या कलम से।समाज में बुरा,खराब,ज्ञान,सच,स्वार्थ, क्रोध सब की जरूरत है,तभी तो इनकी सच्चाई जानकर लोग इससे ऊपर उठ सकेंगे एवं आने वाली समस्याओं का खुलकर बिना किसी समस्या के सामना कर सकेंगे।श्रीहनुमान जी ने क्रोध में लंका जला दी थी फिर उन्हें मालूम हुआ कि लंका के उस वन में माता सीता भी हैं,कहीं उन्हें नुकसान ना हो जाए,तब उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ,फिर आग लगाना बंद कर दिए,अब उन्हें पता चल गया कि क्रोध बहुत खराब चीज है इसीलिए वे क्रोध से ऊपर उठ गए और महान हो गए।ईश्वर की लीला को पहचानना अत्यंत मुश्किल है भक्ति,ज्ञान,निष्काम कर्म से ही उनकी लीलाओं को जाना जा सकता है।जय श्रीराम।