लेकिन अब क्या कर सकते थे जो होना था सो हो गया इसे बदल तो नहीं सकते थे । मैंने सोचा वहाँ जाने से पहले उससे बात कर लूँ , उसे बता दूँ की मैं उसके के लिए क्या महसूस करता हूँ । इसलिए उसे ढूंढने लगा कैम्पस देखा ; कैंटीन देखा यहाँ तक की हमारे कॉलेज कैम्पस की lover’s spot भी देखा नहीं मिली ; फिर सोचा शायद वो वाशरूम में हो , लेकिन लड़कियाँ अकेले तो नहीं जाती और मुझे उसकी कोई फ्रेंड भी नहीं दिखी , और उधर बस के जाने का समय हो गया था ; गार्ड जी बताने आए मुझे की अब बस जाने वाली है तो मैं जाकर बैठ जाऊँ । मैं जब बस के अंदर गया तो देखा की सभी जगहें फुल्ल थी कुछ अपने अपने squad के साथ बैठे तो कुछ अपने duo के साथ मुझे नहीं लगता की ये बताने की जरूरत है की squad मतलब अपने फ्रेंड ज़ोन या besties के साथ और duo कहा जाये तो couples । तो ज़ाहिर सी बात है की कोई seat शेर नहीं करना चाहेगा । आप सब ये जरूर सोच रहे होंगे की मेरे फ़्रेंड्स भी होंगे तो मैं उनके साथ बैठ गया होगा लेकिन ऐसा नहीं है । दरअसल बात ये है कि मुझ में एक बुराई है कि मैं ज्यादा फ्रेंड्शिप नहीं करता जल्दी ; खुद में ही रेहता हूँ ; खुद से ही बातें करता हूँ । उसके पीछे बहोत से वजह हैं । सबसे बड़ी वजह ये है कि मैं डरता हूँ फ्रेंड्शिप करने से, कहीं उसे खो न दूँ ; वैसे तो आप सभी जानते हैं कि बचपन की फ्रेंड्शिप से ज्यादा सछ फ्रेंड्शिप और कोई नहीं होता । फ्रेंड्शिप तो बड़े भी करते है लेकिन सभी मतलब से करते हैं, आपको 10 में से 9 लोग आपको ऐसे मिलेंगे जो मतलब जो मतलब से सिर्फ फ्रेंड्शिप करेंगे। उनके फ्रेंड्शिप के पीछे क्या स्वार्थ होगा किसी को पता नहीं ।
THE PAST :
बात तब की है जब मैं 7 साल का था उस वक़्त मेरे बहोत से दोस्त थे लेकिन उनमे से एक मेरा बेस्ट फ्रेंड था ; उसे हम सभी प्यार से निककु बोलते थे हम दोनों में बहोत अच्छी दोस्ती थी । हम दोनों में हमेशा मुक़ाबला रेहता था की कौन जीतेगा और कौन हारेगा । कभी वो जीत जाता तो कभी मैं जीत जाता । हमलोग अक्सर स्कूल में ही मिला करते थे उसका घर मेरे घर से आधे घंटे की दूरी पर थी और मुझे अकले जाने नहीं दिया जाता था उतने दूर अगर कभी मैं ज्यादा ज़िद करता था तो माँ चलती थी साथ में ,ऐसे ही समय के साथ हमलोग और भी अच्छे दोस्त बन गए ; कहते हैं न की कोई भी खुशी ज्यादा दिन तक नहीं रहती और जो आपके सबसे करीब है उसे दूर कर देती है हमेशा के लिए ; ऐसा ही कुछ हुआ उस दिन भी बात है स्कूल की उसने कहा की वो अगले दिन से नहीं आएगा क्योंकि उसके पापा का ट्रान्सफर हो गया है , मुझे सुनने में गलत फहमी हुई और मुझे लगा की वो अगले दिन नहीं आएगा, उसने मुझे अपना नंबर दिया ताकि मैं उससे बात कर सकु । आप सभी को याद हो शायद उस वक़्त एक पेंसिल बॉक्स आती थी जो फोन की तरह दिखता था , तो मैंने उसके नंबर को अपने फोन से डायल किया मेरा मतलब पेंसिल बॉक्स से और मैंने उसे बोला की उसे कॉल कर दिया है मेरा नंबर उसके फोन में चला गया है , वो मुझे बोल रहा था की ये असली नहीं है इससे कॉल नहीं लगता है मैंने उसकी बात मानी ही नहीं उसने नंबर एक कागज पर लिख कर मेरे जेब में रख दिया और उसने मुझे बोला कि मैं उसे कॉल करू घर जा कर । मैं जब घर गया तो भूल गया कॉल करना और जब याद आई तो नंबर खो चुकी थी क्योंकि माँ ने ड्रेस धुलने के लिए दे दिया था । मैंने सोचा कोई न अगले दिन स्कूल में मिलुंगा तो ले लूँगा लेकिन वो नहीं , मेरे कुछ दोस्तों ने बताया कि वो अब नहीं आएगा ।

Very emotional story bhai. or first wala story me 100% sacchai hai. lekin kuch nahi koi ek dost to bnana hi chyea. jis se tm apni baate share kr skte ho. Or mere saath v esa hua hai bachpn me school me tha tb kaafi accha friend ship tha uss time hm kaafi bacha the lekn ab uske baare me pta v nahi kaha gye wo log 😔😔😔
ReplyDelete