समय के भवर में फस के रह गया हूँ ; खुद की तलाश में खुद से बिछर गया हूँ ,
मंज़िल की तलाश में मैंने कई ख्वाहिशों को दफनाया है , जिससे नफरत थी उसे गले लगाया है
समय के भवर में फस के रह गया हूँ ; खुद की तलाश में खुद से बिछर गया हूँ ,
मंज़िल की तलाश में मैंने कई ख्वाहिशों को दफनाया है , जिससे नफरत थी उसे गले लगाया है
इसलिए भविष्य की चिन्ता न कर हमे वर्तमान पर ध्यान देना चाहिए;
वर्तमान में कर्मों का निर्वहन करें ।।