सब कुछ अधुरा

 समय के भवर में फस के रह गया हूँ ; खुद की तलाश में खुद  से बिछर गया हूँ , 

मंज़िल की तलाश में मैंने कई ख्वाहिशों  को  दफनाया है , जिससे नफरत थी उसे गले लगाया है 

हरे कृष्णा।।


भविष्य के गर्व में क्या रखा ये तो स्वयं नारायण को नहीं पता था ; हम तो फिर भी मनुष्य है ।।

इसलिए भविष्य की चिन्ता न कर हमे वर्तमान पर ध्यान देना चाहिए;

वर्तमान में कर्मों का निर्वहन करें ।।


 बिरादरी में बियाहने के चक्कर मे,

सब कुछ गरक कर देते हैं???

एक हस्ते खेलते जीवन को...

घरवाले नरक कर देते हैं..!!